फलों की मक्खियां आम को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं। इस हमले से न केवल आम उत्पादकों बल्कि उपभोक्ताओं को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है। फलों के अंदर के अंडों से निकलने वाले कीडे मांसल भाग को खा जाते हैं और नष्ट कर देते हैं।
इस प्रकार त्वचा की सतह पर भूरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
जैसे-जैसे नुकसान बढ़ता है, फल सड़ने लगता है और भूरे रंग का तरल पदार्थ छोड़ने लगता है। इस प्रकार क्षतिग्रस्त फल सड़ कर गिर जाते हैं।
इसका कीड़ा सफेद रंग का, बिना पैर वाला और चौड़े सिर वाला होता है। फलों की मक्खियाँ नारंगी या भूरे लाल रंग की होती हैं। दर्पण जैसे पंख होते हैं।
इसके प्रबंधन के लिए प्रभावित फलों को तोड़कर अलग कर देना चाहिए। पेड़ के चारों ओर जुताई करने से फल मक्खी के लार्वा मर सकते हैं। दस प्रति हेक्टेयर की दर से मिथाइल यूजेन युक्त एक आकर्षक जाल फल मक्खियों को आकर्षित कर उन्हें मार सकता है। मेंहदी से निकाला गया पाइरेथ्रम को पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। कीड़ों के संक्रमण को रोकने के लिए ओपियस कोडपैनसेटस और स्पालैंगिया फिलीपींस जैसे कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।
ए. सेंथमिल,
युवा विज्ञान कृषि,
कृषि शक्ति के वुलुतु पत्रकार।