गाय के गोबर में नाइट्रोजन, पोटैशियम, सल्फर, आयरन, कोबाल्ट, मैग्नीशियम, कॉपर आदि सहित 24 पोषक तत्व (मनुष्यों के खाने योग्य नहीं) होते हैं, खासकर भारतीय गायों में कैल्शियम, फॉस्फोरस और जिंक भी काफी मात्रा में मौजूद होते हैं।
https://bioresourcesbioprocessing.springeropen.com/articles/10.1186/s40643-016-0105-9
कई बैक्टीरिया, कवक और कीड़े हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हैं
यह अपनी किण्वन क्षमता के कारण प्राकृतिक खाद में बदल जाता है।
इसका उपयोग बायोगैस के माध्यम से मीथेन गैस के साथ खाना पकाने के ईंधन के रूप में भी किया जाता है। यह बहुत ही सुरक्षित ईंधन है। क्योंकि यह फटता नहीं है
एक किलो कम्पोस्ट गोबर से 55% से 65% गैस प्राप्त होती है। एक गाय/गाय प्रतिदिन 9 से 15 किलो गोबर देती है। इनमें से अधिकांश पुन: उपयोग के बजाय बर्बाद हो जाते हैं।
गाय/भैंस का प्रयोग दवा में गर्भनिरोधन और मच्छर भगाने के लिए किया जाता है, साथ ही हम भैंस से खाना भी बना सकते हैं, इस तरह खाना पकाने से पैसे भी बचते हैं, हमें ज्यादा ईंधन खर्च नहीं करना पड़ता है।
भैंस को व्यवसाय के रूप में बनाकर कृषि व्यवसायी उद्यमी अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं