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बागल की खेती विधि !

15 प्रतिशत मिट्टी को रोटोवेटर से जोतकर दो दिन तक सूखने देना चाहिए। फिर 5 फीट के अंतराल पर एक घन फुट का गड्ढा खोदें.. प्रत्येक छेद में बकरी के गोबर का एक बर्तन डालें और इसे दो दिनों के लिए ठंडा होने दें। इसके बाद गड्ढे को ऊपर की मिट्टी से ढक दें। प्रत्येक छेद में एक इंच की दूरी पर तीन बीज लगाकर पानी देना चाहिए। 15 सेंट भूमि के लिए 100 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

प्रत्येक पंक्ति में 10 फीट ऊंचाई के तीन सहजन 4 फीट की दूरी पर लगाने चाहिए। पट्टियों को तार की बाड़ की तरह रस्सियों से एक साथ बांधा जाना चाहिए। अंकुरण बुवाई के 6 दिन बाद करना चाहिए। 15वें दिन यह एक फुट की ऊंचाई तक पहुंच जाएगा। निराई-गुड़ाई 15वें और 30वें दिन करनी चाहिए। 20वें दिन के बाद बेलों को रस्सी पर लटका कर छोड़ देना चाहिए। 30 दिनों के बाद कलियाँ और 40 दिनों के भीतर फूल आना शुरू हो जाते हैं। 45वें दिन के बाद एक या दो फलियां आने लगेंगी।

फ़ीड के लिए समाधान!

50 लीटर की क्षमता वाला एक प्लास्टिक का ड्रम लें और उसमें नीम चावल का आटा – 2 किलो, समुद्री शैवाल चावल का आटा – 1 किलो, तिल चावल का आटा – 2 किलो, हरी बीन्स – 5 किलो डालें। इसके साथ ही गाय का दूध – 2 लीटर, गोमूत्र – 5 लीटर डालकर मिला देना चाहिए और पानी ड्रम भर जाने तक डालना चाहिए। इस घोल को चार दिन तक रोज सुबह अच्छी तरह से मिलाना चाहिए। फिर इसे छानकर 10 लीटर पानी में एक लीटर घोल के अनुपात में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें, फसल अच्छी तरह से विकसित होगी।

इस घोल का सप्ताह में दो बार छिड़काव करना चाहिए।

लाल मिट्टी में अधिक उपज!

सफेद मधुमक्खी का कोई व्यक्तित्व नहीं होता। साल भर लगाया जा सकता है। वैसे तो यह सभी प्रकार की मिट्टी में अच्छी तरह से उग जाती है.. लाल मिट्टी में यह अधिक उपज देती है।

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