जैविक खेती में सभी फलियों की देखभाल एक समान होती है। एक एकड़ भूमि की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए और 8 टन खाद का प्रयोग करना चाहिए। फिर एक जुताई करनी चाहिए और जमीन की बनावट के अनुसार क्यारियां बना लेनी चाहिए। ड्रिप लाइन स्थापित की जानी चाहिए और आवश्यक बीज लगाए जाने चाहिए। सामान्यतः सब्जियों की फसल को दो फीट की दूरी पर बोना चाहिए।
बिजाई के दिन पानी देना चाहिए और अगली सिंचाई तीसरे दिन करनी चाहिए। 20 और 30वें दिन निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए। 25वें दिन पत्ती, बेल और भस्म पोषक तत्वों युक्त जैव उर्वरक की अनुशंसित मात्रा को ड्रिप के पानी में मिला देना चाहिए। 15वें और 35वें दिन 300 मिली पंचगव्य प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। किसी अन्य रखरखाव की आवश्यकता नहीं है। यदि कीट पाए जाते हैं, तो अनुशंसित जैव-कीट विकर्षक का छिड़काव करें। जैविक खेती ज्यादातर कीट मुक्त होती है। बढ़ते मौसम के दौरान छिड़का गया पंचगव्य भी एक कीट विकर्षक के रूप में कार्य करता है।