मुठ्ठी मंतकली का साग और 4 चुटकी हल्दी मिलाकर उबालने से गले की खराश, जीभ की खराश आदि ठीक हो जाती है।
मंदाकली के साग के साथ थोड़े से नमक के साथ खाने से पुराने वात रोग ठीक हो जाते हैं।
मुठ्ठी भर मंतकली का साग और जावित्री का काढ़ा बनाकर पीने से छाले, गले की खराश और पेट के छाले ठीक हो जाते हैं।
एक मुठ्ठी चंदन के पत्ते, एक चम्मच जौ और चार चुटकी हल्दी का काढ़ा बनाकर खाने से पानी की झुर्रियां, पानी की जलन और मूत्र असंयम ठीक हो जाता है।
यदि आप मन्ताकाली पालक का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर उसका शरबत बनाकर प्रतिदिन सेवन करें तो आपको सुडौल शरीर प्राप्त होगा।
एक मुठ्ठी मंथालिक साग में काली मिर्च (10 मात्रा), टिप्पीली (3 मात्रा), और चार चुटकी हल्दी मिलाकर पीसकर लेप बना लें और थोड़े से शहद के साथ खाने से सर्दी-खांसी जैसे कफ रोग दूर हो जाते हैं। सर्दी जन्नी के लिए यह एक अद्भुत उपाय है।
मंतकाली हरे का 30 मिली रस दिन में तीन बार लेने से पेशाब खुलकर अलग हो जाता है। पेट, अस्वस्थता, शरीर की गर्मी आदि रोग दूर होते हैं।
