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किसान भाई सावधान!!

इस देश में कोई धन नहीं!!
विदेश में क्यों हाथ फैलाओ!!

गीत के अनुसार वैश्वीकरण में अब सब कुछ वैश्वीकृत होता जा रहा है। इस वैश्वीकरण के कारण, चाहे हमारी मांग हो या न हो, विदेशी उत्पाद हमारे बाजार में बिक्री के लिए आ गये हैं।

वर्तमान में विश्व व्यापार संगठन ने भारत को अमेरिकी चिकन और पोर्क खरीदने के लिए मजबूर कर दिया है।
पहले से ही यह धारणा है कि ब्रॉयलर चिकन का मांस हमें बीमार बना रहा है। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि विदेशी मुर्गियों को भारत में आने की अनुमति देने से किस तरह की बीमारियाँ होंगी।

यह सर्वविदित है कि यदि हमारे देश को भारत सरकार से पैसा मांगने के लिए किसी विदेशी कंपनी को बाजार दिया जाता है तो स्थानीय उत्पादकों को नुकसान होगा।

तो अब समय आ गया है कि नौकायन तमिल वाउसी द्वारा शुरू किया गया स्वदेशी आंदोलन शुरू किया जाए।अब समय आ गया है कि हम सभी स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं को खरीदने के लिए प्रतिबद्ध हों
किसान!! कल हम नामुर में उत्पादों का निर्माण करेंगे और उत्पादों का विपणन स्वयं करेंगे!! हमारी एकता ही हमारी ताकत है

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